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(१३२) द्रव्य क्षेत्र काल नावथी, पर्याय द्रव्य अनन्तरे; शुद्ध आलंबन आदरी, व्यक्तिथी थाय भदंतरे. अनन्त. ५ स्वकीय द्रव्यादिकभावथी, अनंतता अस्तिपणे साररे; पर द्रव्यादिक अस्तिनो, नास्तिता अनन्त विचाररे. अनन्त ६ वीर्य अनन्त सामर्थ्यथी, उत्पाद-व्यय प्रतिद्रव्यरे; छति पर्यायथी ध्रुवता, समय समयमांहि नव्यरे. अनन्त. ७ धर्म अनन्तनो स्वामी तुं, ध्यानमां ध्येयस्वरूपरे; बुद्धिसागर निज द्रव्यनी, शुद्धि ते जय ! जिननूपरे. अनन्त. ८
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