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११८ ११८.
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१२५ कलियुगमा कुमतो १२६ हाय न लेवी
११७ १२७ आशीर्वादलेवो १२८ दयोपदेश
.... .... .... १२९ समभावे सुख दुःख भोग
११९ १३० आत्म रमणता .... ....।
१२० १३१ आनन्दघन.... .... १३२ सर्व दर्शन रूपात्मा ....
१२२ १३३ एकान्त नयद्रष्टिए आत्मप्रभुथी प्रकट दर्शन धर्म व
नद्वारा अन्तरात्म शुद्धात्म प्रभु स्तुतिः (भजन) १२३ १३४ अलक्ष्यात्मा लगनी .... १३५ आत्मानु आत्माने मिलन
१२६ १३६ आत्मामां सर्व छे .... १३७ आत्मभावथी विश्व साथे वर्तन .... १३८ आत्माओथी भरपूर विश्वने आत्मज्ञानथी देख. १२८ १३९ बालभावना
१२९ १४० मोह हठाव १४१ मोह युद्ध .... .. १४२ समता साबरमती
१३१ १४३ आत्मदर्शन सत्ता
१३२ १४४ आत्म प्रभु चैत्यवन्दन तथा स्तवनम्
१३२ १४५ दुर्लभ मोक्ष प्राप्ति
१३४ १४६ आत्मरूपे विश्व थवानी भावना ....
१३५ १४७ लघुता .... १४८ निन्दा केम करुं ....
१३७ १४९ धिक्कार त्याग
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