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२०
अब.
अज अविनाशी अमर अलख हम सब भयकुं हि निवारा; कालके काल महाकाल हम, पूगुल मोह उतारा. ब्रह्मरूप हम ब्रह्म समाए, ज्यां नहीं द्वैत पसारा: देह रहा संसारकेमांही, हम नहीं है संसारा. सबसे न्यारा शुद्धब्रह्म हम, बावन अक्षर व्हारा; हम है प्यारी हम है प्यारा, गुण पर्यायाधारा, पंचभूतसे न्यारा इस है, सर्व विश्व आधारा; बुद्धिसागर आतम पाया, आनंद अपरंपारा.
अब ३
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अब ४
अब, ५
अवळीवाणी.
सोरठ.
हमने ए सब ज्ञाने दीठा, अज्ञानीकुं एह अनीठा.ज्ञानी मनमें मीठा....
हमने.
एक बुंदम अधि समायो, सब संसार समायाः
एक अनेक न तेज न तम नहि, सिंहां जाकर ए गाया. हमने. १ चन्द्र अग्नि ज्वलत है भारी, रवि शीतलता प्रकाशे;
हमने. २
,.
हमने, ३
मूषक खावे सब सपकुं, पंगु गगने विलासे. एक नपुंसक विश्वकुं जीते, नारी विश्व नचावे: अन्धक साचु नानुं परखे, संतकुं वेश्या भावे. दासकी इन्द्र करत है सेवा, खद्योत रविकुं हरावे; पलवल में सब दुनिया डूब गई, भारङ महीं स्थिर थावे. हमने, ४ पृथ्वी उपर नाव चलत है, गौ सब जगकुं खावे;
बुद्धिसागर गुरुगम जाने, वह शिवसुखकुं पावे.
इसने ५