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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साठ हजार तनुजो जेना, एकी वखते मरिया, सगरचक्री मूर्छा पाम्यो, वैराग्य ज्ञानथी तरियारे. आतम० ७५ मरुदेवाए तनुजमोहे, शोके वर्षों गाळ्यां; निर्मोही थयां त्यारे क्षणमां, मुक्तिपुरीमां म्हाल्यारे. आतम० ७६ रामनामोहे लक्ष्मण शोकी, राम मरंतां थइया; कोइनी साथे कोई गया नहीं, निज निज वाटे वहियारे.आतप०७७ रावण सरखो मोटो राजा, प्राण तजीने चाल्यो। कर्मानुसारे परभव चाल्यो, भावी टळे नहीं टाळ्यारे. आतम० ७८ लाते जे धरणीने ध्रुजावे, ते पण चाल्या चाले तेओना नाम देहनी यादी, रहीं नहीं आ कालेरे. आतम० ७९ असंख्यकालना तीर्थकरना, नाम रह्यां नहीं आजे; देहयकी कोइ अमर रह्या नहि, मोह शो ? करवो छाजेरे.आतम०८० आजसुधी नाम देहो अनंतां, थइयां गण्यां न गणाये; हर्षे शोक तेमां शु? करवो, अब्धितरंगना न्यायेरे. आतम० ८१ सगां संबंधीना नामने देहो, पोताना तेम जाणो; निर्मोहभावे अज अविनाशी, अलख आतम दिल आणोरे. आ०८२ कृष्ण वासुदेवनी राणीओ, त्राहि त्राहि पोकारी; पण न उगारी शक्या तेओने, कर्मतणी गति न्यारीरें. आतम०८३ कर्म शुभाशुभ बाजीगर सम, ईश्वर-कर्म स्वभावे; तेमां आतमभाव न धारो, रहेशो आत्मस्वभावरे. भविका आतम धर्मने धरजो. ८४ अमिकुमारे द्वारिका बाळी, जलधिए उरमां घाली; कोइ बचावी शक्युं नहीं तेने, कर्मप्रभुलीला न्यारीरे. भ० ८५ कर्मथी बलियो आतम ईश्वर, आतमज्ञाने थावे; कर्म अनंतां क्षणमा टळतां, चारित्रना शुद्धभावेरे. भ०.८६ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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