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अतिलखु ठंड ने उन्हु. कडवुं सडेलुं न खाबुंरे; अतिशय थाक परिश्रम तजवो, ऋस्तुनियमे न्हावुरे. दीर्घा० १२ हदनी बाहिर बेस फरं, जागवुं बोलवु त्यागोरे; अतिवाचन अतिश्रवणने जोबुं तेनो त्यजशो रागोरे. दीर्घा० १३ रात्रे बहेला उंघो व्हेला, निद्रा तजीने उठोरे;
क्रोध मान माया आसक्ति, कामने अतिशय कूटोरे. दीर्घा० १४ बात पित्त कफ करनारां, भोजन पानने छंडोरे;
दीर्घा० १६
दीर्घा० १७
दीर्घा० १८
दीर्घा० १९
मदिरा मांसथी अळगा रहेवुं, करो न जूड घमंडोरे, दीर्घा० १५ प्राणायामने आसन साधी, व्याधि न थावा दइएरे; बाल्यकालथी एवाभ्यासे, निरोगी थै रही एरे. वीशवर्षनी उम्मर सुधी, ब्रह्मचर्यने घरीएरे; दुष्ट कुटेवोथी दूर रहीए, सुखी जीवन वरीएरे. बार वर्षनी उमर थातां, कोनी भेगा न मृबुंरे; कुद्रती जीवनना नियमे, वर्ततां नहीं रोबुंरे. अतिचावी खोराकने खावो, जलपण पीवुं चात्रीरे, प्रकृति साचववी ज्ञाने, आतम निर्भय भावीरे. वनस्पति आहारे जीव, अतिलोभी नहि थार्बुरे; शुद्ध हवा जलस्थाने रहेनुं, निषेध्वने नहि खाबुंरे. बैरी विरोधी हाथे न खावुं, रात्रीभोजन छंडोरे, करी परीक्षा खावुं के फी - वस्तु मोहने खंडोरे . जीववामाटे खावुं पी, मूत्रनां वेग न रोकोरे विष्टानो पण वेग न रोको, वेग रोकंतां रोगोरे. दातण सारी रीते करखुं, दिवसे निद्रा न लेवीरे अतिसुखियाने पराश्रयीनी, जिंदगी दासना जेवीरे आतमज्ञानने प्राप्त करीने, मननो आधि टाळोरे; कषाय दुर्गुण टळतां निश्चय, सुख शांतिने भाळोरे,
दीर्घा० २०
दीर्घा० २१
दीर्घा० २२
दीर्घा० २३
दीर्घा० २४
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