________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुरु अष्टोत्तर शत ग्रंथ रच्या जयकारी, तार्किक शिरोमणि पदवी जगमां धारी; गुरु उपाध्याय पदवीना धारक प्यारा, श्वेतांबर संघे प्रगटया जयजयकारा. संवत सत्तर पिस्तालीश मागशिर मास, उज्जवल अगियारस गुरुनो स्वर्गे वास; दर्भावती नगरी गुरुजी जग हितकारी, बुद्धिसागर वन्दे छे वार हजारी. गुरु मळीया प्रेमे वीनति उर स्वीकारी, दीठा चक्षुथी करुणाना भंडारी गुरु भक्ति वशमां अनुभव द्यो निर्धारी, क्षणक्षणमा वंदन होशो वार हजारी. जय मंगलकारी मूर्ति तव मनोहारी, देशो दर्शनने पुनः पुनः उपकारी; जे प्रेम धरी आ गाशे नरने नारी, बुद्धिसागर सुख पामे मंगलकारी.
श्री यशोविजयजी आवाहन मंत्र स्तवनम् . द्वारकांना वासीरे अवसरीए व्हेला आवजोजी-ए राग. मन मंदिरना वासीरे, सद्गुरुजी वहेला आवशोजी; आवो आवो भक्तिवशे भगवान् .
मन. वाचक पदना अधिकारीरे, यशोविजयनी आवशोरे नहि आवो तो थाशे सेवकना बेहाल.
मन. १
For Private And Personal Use Only