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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्मप्रभु स्तवन. विरति ए सुमति घरी आदरो, ए राग. पन प्रभु अलख निरञ्जन, सिद्धना आठ गुणधारीरे साकार उपयोग चेतना, निराकार जयकारीरे. प्रम. १ अजर अमर अयोचर विभु, नाम न रूप न जातिरः जमगुरू जय श्री चिंतामणि, प्रण भुवनमाहि ख्यातिरे. पन. २ उपमातीत परमातमा, अनुभव विण न जणायरे दिशी देखाडी आगम रहे, अनुभवे प्रभु परखापरे. पन. ३ सद्गुरु तीर्थ उपासना, स्यादाद सूत्रनो बोधरे। परंपर गुरुगम जोडतक, करे भत्री जिनवर शोधारे. पत्र. ४ ज्ञानना मानमा ध्यान छे, ध्यावधी होय समाधिरे परम प्रभु एक तानमां, भेटतां जाय उपाधिरे. पा.५ अनुभव अमृत स्वादता, चित्त अन्यत्र न जायरे चकोर ज़ेम चंद्र तेम रावतुं, परम प्रभुरूप मांबरे. पा. ६ सुख अनंतनी रात्रिमा, जीवनमुक्तपद प्रायो। बाहनां सुख रूचे नहि, निश्चय सुख निज मांखरे. पा. ७ परपरिणति रंग परिहरी, शुद्ध परिणतिमाहि रंगरे बुद्धिसागर जिनदर्शन, देखवा मेम अभंगरे. For Private And Personal Use Only
SR No.008539
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1909
Total Pages308
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size12 MB
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