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विषय. जाग्रति सदुपदेश सोऽहं उच्चभाव जुभो तपासी मैत्रीभावना धारो निन्दा त्याग एक स्वप्न परिग्रहममता शा माटे वाद करवो कपट क्रियामां पाप हे आत्मा तुं वस्तुतः सिद्ध छे... गाडरीया प्रवाहनी अंधाधुंधी... आप बडाइ शा माट चिंता करवी कलेश, साज्य छे ज्ञानी कहेणी रहेणी विधा हांसी दया वेश्या संग परनारी संग समाधिलय सदाचार
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