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पवन वेग हवे चाल्यां वहाण समुद्रमारे के वहा० सढ ताण्या श्रीकेरा डेरा तेगमारे केडे. तूरहि वाजे गाजे मणिरुचि विजलीरे के गाजे० मानु के अंबर डंबर मेघ घटा मलिरे के मे० ॥३॥ के पर्वतपस्थालाके पुरवालतारे के पु० उदधि कुमार विमान केइ जलमांहि मालतारे के ज. केई ग्रह मंडल उतरयो थोक मीलि सहरे के यौ० इम ते देखी के अंबर सुर बहुरे के अं० ॥४॥ चाई जल अवगाहतां चाल्यां ते जलेरे के चा० साथ दिए जिम सज्जन तिम बेंहु मिलिरे के तिम० करतरंग विस्तारी साय ते मलिरेके सा० जाल प्रवाल छले हुओ रोमांचित वलीरे के रो० ॥५॥ भरमध्यहं ते आव्या जिहां जल उच्छलेरे के जिहां० सायरमांहि गर्व न माई तिणे बलेरे के ति. गाजई भाजई नाचतो अंग तरंगस्युरे के अं. मत चालो करें चालो निज मन रंगस्युरे के चा०॥६॥ गर्वे जाणे मुझ सम जगमां को नहिरे के मु० गर्वे चडावें पर्वत जनने करग्रहीरे के ज. गर्वे निजगुण बोले न सुणे परकटोरे के न मु० रस नवी दाई ते नारी कुचजिम निजग्रयोरे के कु०॥ ७॥ ए असमंजस देषी दृष्टिं आकरुरे के दृष्टिं० एक वाहण न रही सक्युं बोल्युं ते खरुरे के बोल्युं०
१ चाढ़ए. २ दिये. ३ मध्ये.
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