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૧૮૪ अश्रित अजित अजेय अमेय अभार अपार,
अपरंपर अजरंजर अरह अलेख अचार ॥ ६४ अभय अविशेष अविभाग अमित अकल असमान अविकल्प अकृत अदर अविधेय अनवर अखंड अगुरुलघु अच्युताशय अदंड ॥३५॥
परमपुरुष परमेश्वर परमप्रभाव प्रमाण; परमज्योति परमातम, परमशक्ति परमाण; परमबंधु परमोज्वल ,परमवीर्य परमेश परमोदय परमागम, परम अव्यक्त अदेश. ॥ ६६ ॥
चालि
પ
६२
७.
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૭૨
.दुहा.
जगमुगुट जगतगुरु जगततात, जगतिलघु जगतमाणि जगतभ्रातः
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जगतशरण जगकरण जगतनेता, जगभरण शुभवरण जगतजेता..६७।
चालि. शांत सदाशिव नित, मुक्त महोदय धीरः केवल अमृत कलानिधि, कर्मरहित भवतीर; प्रणवबीज प्रणवोत्तर, प्रणवशक्ति शृंगार.
प्रणवगर्भ प्रणवांकित, यक्षपुरुषआधार. ॥ ६८ ॥ दर्शनातीत दर्शन प्रवर्ती, नित्यदर्शन अदर्शन निवर्ती; बहुनमन नम्य जगतनत-अनाम, सिद्धना इंति इत्यादि नाम.॥६९॥
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