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बे बोल. मंडळे शरु करेल ग्रन्थमाळा पैकीनो आ सातमो ग्रन्थ छे. जे ग्रन्थमा मुनिवर्य श्रीमद् बुद्धिसागरजी महाराज रचित स्तवनो पदो उपरांत श्रीमद् यशोविजयजीनी कृतिनां पदो पण छे. हालमां पुस्तको घणी प्रकारनां घणी संस्थाओ तरफथी प्रगट याय छे पण आ शैलीवाळा ग्रन्थो छेल्ला केटलाक सैकाओमा कोइक ज तरफथी लखाया हशे. आवा प्रकारना ग्रन्थनो आ चोयो भाग प्रगट श्रयो छे अने तेज उपस्थी जोइ शकाशे के जनसमा. जमी ते तरफ रुचि वृद्धि पामती जाय छे; केमके विविध विषयोथी भरपूर साथे बोधक, अने रसिक छे. जेम जेम आवा ग्रन्थोनुं वांचन, मनन, वधतुं जशे तेम तेम तत्त्व स्वरूपनो प्रकाश वृद्धि पामशे.
आवा ग्रन्थो प्रगट करवाने समाज तरफथी मंडळने जुदा जुदा ग्रहस्थो तरफथी मदद मळे छे अने तेथी मंडळ पोताना कार्यमा आगळ. वधे छे. मंडळ इच्छे के आ ग्रन्थमाळाना १०८ मणका अनेक ग्रहस्थोनी सहायताथी सत्वर प्रगट थाओ. ____ आ ग्रन्थ अमदावादवाळा शा. मोहनलाल हेमचंद सुपुत्रो तरफनी संपूर्ण मदद करी प्रगट करवामां आव्यो छे जे माटे मंडळ तेओने तेओना द्रव्यनो आ रीते करेला सद्उपयोग माटे धन्यवाद आपे छे.
अध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळ.
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