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बाळलग्नने कदी करो नहि सत्य शिक्षा मानशो, बुद्धिसागर धैर्य धारी सत्य मनमा आणशो.
खंडमंडनमां सार नथी.
छप्पय छंद. करो न वादंवाद धर्ममां कलेश करीने, नहि सत्यनो नाश कदापि दील धरीने; बुद्धिवाळो जय मेळवतो जगमां देखो, मिथ्या नाहक वाद कोथी सार न लेखो धर्म झघडो जे करे ते चित्त निर्मल नहि करे, बुद्धिसागर समजु समजे परमप्रभुता घट वरे. खंडनमंडनमा शुं पडवू सत्यज कहे, खंडनमंडनमा शुं पडवू सत्यज लेवु, अखंड व्यापक आत्मतत्त्वतो नहि खंडाशे, परिपूर्ण स्याद्वाद ब्रह्म तो नहि छेदाशे; अखंड आत्मस्वरूपमांहि आनंद अपरंपार छे, नाम रूपथी भिन्न समजो अनुभवे जयकार छे. खंडनमंडन करतां कदी न सारु थाशे, खंडनमंडन करतां कदी न सार ग्रहाशे; खंडनमंडुन मनना धर्मों परखी लेशो, खंडनमाहि महाविकल्पो चित्त न देशो वाद मिथ्या परिहरीने धर्म विद्या आदरो, बुद्धिसागर आत्मध्याने परमप्रभुता झट वरो.
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