________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११५ धरी भावना चार कर्मना फन्द निवारे; द्रव्य क्षेत्रने काल भावे गृहिधर्मने आदरे, अचळ श्रद्धा अचळ भक्ति धर्मनी लही मुखबरे.... धरे प्रभु पर प्रेम गुरुनी भक्ति करे छे, सदाचारथी पाछो अरे ते नहि फरे छे सय सुधारा करे कुधारा दूर करीने, प्रभु आज्ञानो लोप करे नहि प्रेम धरीने; सत्य प्रभुनो धर्म पाळे सत् क्रियाओ सहु करे, कलेश कजीया परिहरीने धर्म रीति दिल धरे. करी शक्तिनो तोल बलाबल कार्य करे छे, आत्मिकशुद्धस्वभाव दृष्टिथी शर्म वहे छ। वदे गुरुना पाय गुरुनी आज्ञा पाळे करी धर्म अभ्यास दोषना वृन्दने बाळे धन्य धन्य ते पुत्र सारा जननी कुखे अवतर्या, बुद्धिसागर अनेकान्तनयज्ञानपाथोधि भर्या.
पितृलक्षण.
छप्पय छंद. करे कुटुंब प्रतिपाल न्यायथी वित्त वधारे, करे सुधारा बेश कुधारा दूर निवारे दया सत्य धरी चित्त शक्तिनो तोल करे छ, उच्चभाव धरी बेश अनीति दोष हरे छ।
For Private And Personal Use Only