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वस्त्राकर्षक कीचकने तो भीमे मार्यो परनारी संगे जन दुःखी ज्यां त्यां होशे, परनारीना फंद फसीने अंते रोशे वित्त वीर्यने प्राणनो अहो नाश थावे छे खरो, किंपाक फळने भक्षतां तो प्राणिया अंते मरो. लंपट लुच्यो परनारीना संगे यावे, कीर्तिनो धृमाडो करीने काइ न पावे; लागे कूळ कलंक लोक जन म्हेणां मारे, आयुः प्राणनो नाश पामीने नरभव हारे परनारी संगे घात थावे केदमा पडतो अरे, क्षणिक भ्रांति मुख माटे सत्य धर्मने परिहरे. परनारीनी संगे रोगो केइक थावे, चित्त न ठरतुं ठाम भटकतुं ज्यां त्यां जावे . चिंता रोग विकार दोष सहु व्हेला प्रगटे, कायानुं बहुं जोर खरेखर व्हेलुं विघटे; लक्ष्मीसत्ता तोरमां जे विषय संगे म्हालता, पर मिंयानो संग करीने दुःख पंथे चालता; परनारीनी संगत बूरी शास्त्र कहे छे, परनारीथी हसतां मानव आळ लहे छे परनारीनी संगे कूळमां लागे बहो, करो मोहने दूर धर्मनो दुश्मन कट्टो; पर प्रियाना पारामांहि पशु परे जे जन रह्या, हाय हाय करता अरे ते दुःखना दहाडा लह्या. परनारीनी संगे चेतन शक्ति हणाती, परनारीनी संगे मनमा कुमतिकाती
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