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वर्तमानमां केवलज्ञानी, उच्चध्यानना नेमेरे. - वर्त० ॥१४॥ भूतकालन अनंतकों, वर्तमानमा जावेर; वर्तमानना श्वासोश्वासे, चेतन सिद्ध कहावरे. वर्त० ॥१५॥ वर्तमान बाजी छे हाथे, भाख्यु त्रिभुवन नाथेरे; वर्तमानमा जे जे करशो, ते ते आवे साथेरे. वर्त० ॥१६।। वर्तमानमा जेजे वावो, तेते फळशे आगेरे; वर्तमानने जेह बगाडे, ते जन भिक्षा मागेरे. वर्त० ॥१७॥ भूतकाळमां जे जन भोगी, वर्तमानमा योगीरे; भूतकाळमां जे जन रोगी, वर्तमान निरोगीरे. वर्त० ॥१८॥ गयो वखत संभारे चिंता, वर्तमानमा प्रगटेरे; भूतकाळने संभार्याथी, वर्तमान सुख विघटेरे. वर्त० ॥१९॥ भूतकाळनो पार न आवे, कदी न जेनी आदिरे; अंत न आवे भविष्यनो तेम,वर्तमान तो आदिरे.वर्त० ॥२०॥ वर्तमान भोगववा रूपे, करशो धर्म विचारीरे; पाप तजीने धर्मज करशो, समजो नरने नारीरे. वर्त० ॥२१॥ प्रसन्नचंद्र राजर्षि मोटा, वर्तमान निज ध्यानेरे; कर्म खपावी सहजानंदे, चढीया शिव सोपानेरे.वर्त० ॥२२॥ वर्तमानमा ध्यान लगावी, सिद्धया जीव अनंतारे; वर्तमानने सफल करो जन, जिनवर एम वदंतारे. वर्त०॥२३॥ वर्तमान सुधारी पूर्वे, केइक सिद्धया प्राणीरे; वर्तमानमा उच्च भाव वण, आवे घटमां हानिरे. वर्त० ॥२४॥ घोर कर्मना करनारा पण, वर्तमान शिव जावेरे; वर्तमानमा उच्च थवाथी, भविष्य पण शुभ थावरे. वर्त०॥२५॥ वर्तमानमां पाप कर्याथी, भविष्यकाळे दुःखीरे; वर्तमानमांध्यान विना तो, कदी न थाशो सुखीरे. वर्त०॥२६॥
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