SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलश. गाया गायारे विश जिनवरना गुण गाया; विहरमान जिनवर गुण गातां, अनुभवानंद पायारे. वि० ॥१॥ अंतरना उद्गारथकी में, जिनवर भक्ति कीधी; नवधाभक्ति जिनवरनी छे, भक्ति शक्ति प्रसिद्धिरे. वि० ॥२॥ मन वाणी कायाना दोषो, भक्ति करतां नासे; रत्नत्रयीनी लक्ष्मी प्रगटे, परम प्रभुता प्रकाशेरे. वि०॥३॥ संवत ओगणीस चोसठ साले, आषाढ पंचमी सारी; कृश्न पक्ष शनिवारे रचना, स्थिरता जय करनारीरे. वि० ॥४॥ विहरमाननी विंशी गाशे, ध्यावशे ते सुख लेशे; जिन भक्ति प्रगटावे शक्ति, परम प्रभु उपदेशेरे. वि० ||५|| चैतन्य शक्ति भक्ति योगे, प्रगटे छे जयकारी; शुद्ध स्वरुप रमणता योगे, आनंद मंगलकारीरे.. वि०॥६॥ माणसानगरे चातुर्मासमां, विहरमान जिन गाया; मुखसागर गुरुयोगे शान्ति, बुद्धिसागर पायारे. वि० ॥७॥ . श्री सीमंधर स्तवनम. श्रीरे सिद्धाचल भेटवा-ए राग. श्री सीमंधर वंदना, भवना दुःख हर्ता; महाविदेह वासी प्रभु, शाश्वत सुख कर्ता. श्रीसीमंधर०॥१॥ लघुता एकता लीनता, तुज ध्याने थावे; अनुभव मंदिर दिनमाण, प्रभुतुं प्रकटावे, श्रीसीमंधर० ॥२॥ निश्चय ने व्यवहारथी, शरणुं एक तारुं; हुँ तुं भेद मटाववा, प्रभु ध्यान छे सारु. श्रीसीमधर०॥३॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008538
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1909
Total Pages218
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy