________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उच्च गुणनी प्राप्ति माटे ध्यान सुखकर एक छे; बुद्धिसागर आत्म शक्तिज प्रगटतां सुख टेक छे. ॥५८ ॥ दुःख समयमा आत्मशक्तिने धारण करीए? दुःख सहीने चरणशक्तिने मनमां धरीए; . दुःख समयमा आत्मशक्तिनी खबर पडे छे, दुःख समयमा आत्मशक्तिथी सत्य जडे छे. सहस्र संकट यदि पडे पण आत्मशक्ति न त्यागीए; बुद्धिसागर आत्म धर्मे समय निशदिन जागीए. ॥ ५९ ॥ ज्ञान शक्तिनो महिमा जगमा जयजयकारी, आत्मशक्तिने पामी शोभे जग नर नारी; पर पोतानुं स्वरूप जाणे ज्ञान लहीने, सत्यतच श्रद्धालु बनशो धर्म वहीने. सत्यतत्त्वश्रद्धाथकी तो आत्मशक्ति उल्लसे; बुद्धिसागर आत्मशक्तिज पामी चेतन नहि फसे. ॥६०॥ श्वासोश्वासे ध्यान लगावो चिन्मय थावा, श्वासोश्वासे प्रभु गुण गावो शिवपुर जावा; श्वासोश्वासे अलख निरंजन प्रेमे ध्यावो, श्वासोश्वासे परम महोदय मंगल पावो. सप्तराज उंचु जवू पण जीवने बहु सहेल छे बुद्धिसागर सहजयोगे आत्ममुखनो खेल छे. ॥६१ ॥ अन्तरात्म सेवनथी नरनारी सुख पावे, अन्तरात्म सेवनथी देवो गुण गण गावे अन्तरात्म सेवनमा शक्ति सत्य रहे छे, वीर जिनेश्वर वचनो सूत्रो एम कहे छे. अन्तरात्म सेवन मजार्नु सन्त जन मन प्रेम छे;
For Private And Personal Use Only