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सर्व- सारु थाओ.
__ राग धीराना पदनो. सारं सहुर्नु थाशोरे, सर्वने लागो सत्य प्यारं, उच्च सर्वे थाशोरे, दुनियां कुटुंब मारूं; शान्तिमय दुनिया सहु थाओ, सुखिया थाओ सर्व, निन्दक जननी निंदा टळशो, नासो जनना गर्व. परोपकारे पगलुरे, भरो सहु अणधार्यु. सारं. ॥ १॥ दयागंगमां जगजन झीलो, टळजो सर्वे पाप, शत्रु मित्रपर समान बुद्धिनी, जन मन वर्तो छाप कलेश सहुटळशोरे, धर्मकृत्य करो सारूं. सारं. ॥ २॥ अनंत सुखडां पामो जगजन, थाशो जन कल्याण; धर्ममेघनी दृष्टि थाशो, ऊगो सत्यनो भाण. क्षमामय पृथ्वी थाशोरे, टळशो सर्वे नठार. सामं ॥ ३ ॥ अशुद्ध आचारो विचारो, टळशो वेगे खास, दुनिया धर्ममयी सहु थाशो, थाशो मिथ्यात्वनो नाश; सन्तजनोनी सेवारे, थाजो शुभ मन धार्यु. सालं. ॥४॥ धर्म भेदनो खेद टळो सहु, आत्मिक श्रद्धा थाओ, अनंतशक्ति जीवनी प्रगटो, मंगळपद सहु पाओ. बुद्धिसागर भावरे थाओ दील अजवाळु. सारु.॥५॥
मोह उंघ.
“ गग धीराना पदनो" मोह ऊंघ मोटीरे, जीवलडा तुं जो जागी; मोहे दुःख मोटो रे, विचार जीव वैरागी. शो पैशामां प्रेमज करवो, शो रामामां राग,
उका
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