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दुनिया. ॥३॥
कर्म कलंक बहुभारी शुद्धोपयोगी कर्म खरे छे समजो स्वरुप सुखकारीरे. स्थिरता चेतनमां थावे जो ध्यानथी, कर्मकलंक दूर जावे;
बुद्धिसागर गुरुज्ञान प्रताप, ... परम स्वरुप झट पावरे.
दुनिया. ॥ ४ ॥
ब्रह्म.
ब्रह्मरस. हेचशु भक्तिनां भाइ नाणां-एराग. ब्रह्मरस भोगी जगत्मांहि योगी, ब्रह्म भोगे नथी कोइ रोगीरे. ब्रह्मना गानमां ब्रह्मना तानमां, ब्रह्मना ध्यानमा खुमारी; ब्रह्मनी ल्हेरमां वैर विरोध जाय, ब्रह्मानुभव सुखकारी रे.
ब्रह्म.॥१॥ ब्रह्मना भानमां आनंद सत्य छ, ब्रह्म स्वरुप शुद्ध सामु ब्रह्म विना भाइ जडमां न सुख लेश, ब्रह्म स्वरुपमांहि राचुं रे.
ब्रह्म. ॥२॥ ब्रह्म स्वरुप छ आतमराम देह, शोधोने ध्यानथी तपासी; अनंत आतमा ब्रह्मस्वरुपमय, केवलज्ञानथी प्रकाशीर.
ब्रह्म. ॥३॥ संग्रहनयश्री सत्ताए एकरुप,
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