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करोने संग शूरानी, तजोने संग बुरानी.
करोने संग सुमतिनो, तज ेने संग कुमतिनो; बुद्धियब्धि संग छे जेवी, प्रगटती बुद्धितो तेवी. ।। ६ ।।
धिक्कारखा योग्य.
छप्पय छंद.
धिक् तेनो अवतार जगतमां धर्म न धाय; धिक तेनो अवतार जन्मने फोगट हार्योः धिक् तेनो अवतार गुरुनुं शरण न कीधुं, धिक् तेनो अवतार साधुने दान न दीव; पर उपकार करे नहीं ने धर्मिजनपर खार छे,
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॥ ५ ॥
॥ २ ॥
नीचमां ते नीच कुमति धिक धिक् अवतार छे. ॥ १ ॥ धिक् तेनो अवतार वदी नहि मीठी वाणी, धिक् तेनो अवतार परस्त्री प्रेमे दीठी; धिक तेनो अवतार गुरुनी निंदा करतो. धिक् तेनो अवतार नकामो ज्यां त्यां फरतो; धिक् तेनो अवतार छे जग कर्या गुणने ओळवे, वित्त माटे जूठ बोली असत्य वचनो जे लवे. धिक् तेनो अवतार वदीने जे नहि पाळे, धिक तेनो अवतार धर्मथी जे कंटाळे धिक तेनो अवतार शोकमां निशदिन झूले, धिक् तेनो अवतार वित्तना तोरे फूले; विश्वासघातक जे बने नर धिक् तेनो अवतार छ, शूरदानी भक्त वण जन जगत् मांहि भार छे. धिक् तेनो अवतार अन्यने आळ चढावे,
॥ ३ ॥