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तेथी सर्व मनुष्यो तनुं अनुकरण करतां नथी. दुर्जननो एवो स्वभाव होय छे तेने निंदा कर्या विना चालतुं नथी. पण सज्जनो तो गुणने ग्रहे छे. गुरुभक्त जनो गुरुनी निंदा सांभळी शकता नथी. श्री सद्गुरुनी निंदा करनार पुत्र होय तोपण शत्रु तरीके जाणवो. वीतराग आज्ञा विरुद्ध वर्त्तनारने गुरु तरीके मानवा नहीं. जेमने देखवाथी आत्मा हर्ष पामे छे अने जेमनी वाणी सांभळवाथी परम वैराग्य थाय छे तेमनो संयोग पामीने पण धर्ममां प्रवृत्ति जो थाय नहीं तो जाणं के हुं महा पापी. श्री सद्गुरुने पामी प्रमाद परिहरी आत्मतवने जाणी तेनी श्रद्धा करी परभावनो त्याग करी स्व स्वभावे रम एज रहस्य छे.
दुहा. प्रकाशकमांहि सूर्यजेम । बलमांहि जेम जिन ॥ ज्ञानमध्ये अनुभवी । पामी थाउ पीन ॥ ११ ॥
अग्निनो प्रकाश, दीवानो प्रकाश, तारानो प्रकाश, नक्षत्रनो प्रकाश, ग्रहनो प्रकाश, चंद्रनो प्रकाश, ए सर्वना प्रकाशमां सूर्यनो प्रकाश जेम विशेष छे. तथा बलवंतमां जेम जिनेश्वर भगवान विशेष छे ते बतावे छे.
भुजंगप्रयात छंद. सुणो वीर्य बोलुं विशालो विबुधो ।
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