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कयों होय छे, ते पण संसार समुद्रमां बुडे छे. स्त्रीस्ति धर्म नो उपदेश देनारा पादरीओ पण लोहानी नाव समान छे, कारणके पादरीओ स्त्रीने भोगवे छे. पैशो पासे राखे छे. गाय विगेरे पशमां तथा पंखीमां जीव मानता नथी, मांस खाय छे. जीवोनी हिंसा करे छे. गरीब लोकोने आजीविकाथी लोभावी, पोताना मतरुप कपट जाळमां फसावे छ. ईश्वरने पादरीओ माने छे, अने ते इश्वरनो इशु पुत्र छे, अने तेनी मा मरीयम छे, एम माने छे इश्वरे दुनीयाने पेदा करी, अने ते दुनिया बन्यां ने सात हजार वर्षलगभग थयां एम माने छ. पण बिचारा समजता नथी के इश्वरने ते वळी पुत्र हो ? इश्वर तो निराकार छे. तो निराकारथी साकार एवा इशुनी उत्पत्ति थइ शके नहीं यतः निराकारसकाशात् साकारस्य उत्पत्तिनभवति, आ दुनिया अनादि काळनी छे. दुनियाने बनावनार कोइ नथी. अने दुनियानो कदापिकाळे नाश पण थशे नहीं इश्वरे दुनिया बनावी छे एम कहेवू ते खोटुं ठरे छे. कारणके इश्वर तो रागद्वेष रहित निराकार छे, तेनी जगत् बनाववामां प्रवृत्ति थाय नही अने तेनाथी दुनिया बने नही एवो स्वभाव छे. बीजा जीवोने मारी तेनुं शरीर भक्षण करवू तेथी महा पाप थाय छे. माटे स्त्रीस्ती धर्म पण असत्य छे. तेनो संग करवो नहीं, अने सुगुरुनो संग करवो, फकीर पण लोढानी नाव समान जाणवा खुदाने देव तरीके स्वीकार छे, खुदा सर्वने पेदा करे छे, खुदाने नथी मानतो
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