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जड वादीओ समजता नथी के पृथ्वी आदींना जीवानां शरीर बहु सूक्ष्म छे, तेनो श्वासोश्वास शी रीते जाणी शकाय ? पृथ्वीकाय आदि चार जीवोने स्पशेंद्रिय, कायबल श्वासोश्वास आयुष्य ए ४ चार माण छे. कलकत्ताना प्रसिद्ध विद्वान प्रोफ़ेसर जगदीशचंद्रबोझे धातुमां पण जीव छे, एम सिद्ध कर्यु छे. वनस्पतितां स्त्रीस्ति तथा आर्य समाजी जीव मानता नथी पण ते असत्य छे. वनस्पतिमां स्पर्शेद्रिय, कायबल, श्वासोश्वा स, आयुष्य; ए चार माण शास्त्रमां कथ्या छे. नंदीसूत्रमां वनस्पतिमां जीव छे, तेनी शाबीत करो आपी छे. मनुष्य जेम आहार ग्रहण करे छे तेम वनस्पति पण आहार ग्रहण करे छे. मनुष्य जेम वृद्धि पामे छे, तेम वनस्पति पण वृद्धि पामे छे. मनुष्यने जेम रोगी थाय छे, तेम वनस्पतिने पण रोग थाय छे. मनुष्यने जेम आहार संज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुन संज्ञा, परिग्रह संज्ञा रहेली छे, एम वनस्पतिने पण आहारादिचार संज्ञा रही छे. ६ जीवेसु अजीवसणा. पृथ्वीकाय, अप्काय, तेङकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकाय, ए छकाय छे. पृथ्वीकाये आदिमा जीव छतां, अजीवनी बुद्धि धारण करवी ते मिथ्या-स्व; तथा वासी रोटली, खीचडी, शीरो, लापसी, काल वरियाबादनी सुखडी तेमां जीव उपजे छे, छतां जीव नथी एम मानवुं ते मिथ्यात्व; सुखडीनो काल - कार्त्तिक शुदि १४ चउदश पछी फा गण सुदि १४-१५ सुधी एक मासनो काळ, त्यार बाद तेमां असं ख्याता बेरेंद्रिय जीव उपजे अने मरे. फागुण शुदी १४-१५ पछी
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