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आगमनार.
जीव गृहस्थ छे पण अंतरंग साधुसमान परिणाम छे तो ते जीवने साधु कहे अने कोइक जीव साधुने षे छे पण मनना परिणाम विषयाभिलाष सहित छे तो ते जीव अव्रतीज छे एम ऋजु सूत्रनुं मानवु छे. ते ऋजु सूत्रना के भेद छे एक सूक्ष्म ऋजु सूत्र ते एम कहे जे सदाकाल सर्व वस्तुमा एक वर्तमान समय वर्ते के एटले जे जीव गया काले अज्ञानी हतो अने अनागत काले . अज्ञानी भावे अज्ञानी थशे एम बेहु कालनी अपेक्षा न करे पण एक वर्तमान समये जे जेवो तेने तेवो कहे ते सूक्ष्म ऋजुसूत्र कहिये अने महोटा बाह्यपरिणाम आहे ते स्थूल ऋजु सूत्र नय जाणवो एटले रुजु सूत्र नय कह्यो.
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