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आगमसार
पर्यायार्थिक नयना छ भेद कहे छे. जे पर्यायने ग्रहे ते पर्यायर्थिक नय कहिये, तेना छ भेद छे १ द्रव्य पर्याय ते जीवने भव्यपणुं कहे, २ द्रव्य व्यंजन पर्याय ते द्रव्यनुं प्रदेशमान, ३ गुण पर्याय जे एक गुणी अनेकता थाय जेम धर्माधर्मादिद्रव्य पोताना चलण सहकारादि गुणथी अनेक जीव तथा पुद्गलने सहाय करे, ४ गुण व्यंजन पर्याय जे एक गुणना घणा भेद छे ५ स्वभाव पर्याय ते अगुरुलघु पर्यायथी जाणवो. ए पांच पर्याय सर्व द्रव्यमां छे अने छट्टो विभाव पर्याय ते जीव पुद्गल ए वे द्रव्यमां छे. तिहां जीव जे चार गतिना नवा नवा भव करे ते जीवमां विभाव पर्याय तथा पुद्गलमां
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