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अध्यात्मगीता. ८९ क्रांति सूर्यनी पेरे देदीप्यमान छै माटे शुक्ल ध्यान रूप वायराने जोगे करी, जिम जिम कर्म रूप वादला विखरता जाय, तिम तिम आत्माने गुण रूप क्रांति प्रकाश प्रते पामती जाय. अने एहवी रीते गुण रूप क्रांति प्रकाश प्रते केम पामे ? तोके, साधना शक्ति तिम तिम प्रकाशे एटले साधना कहतां पोतानो आत्म गुण रूप कार्य प्रते साधवू, तेहने विषे निश्चलता रूप प्रगाम अने शक्ति कहतां पराक्रम रूप वीर्यनो उलास तेगे करीने, अने तिम तिम प्रकाशे कहतां, श्रेणी रूप प्रकाश प्रते बघतो जाय. अने एहवी रीते श्रेणी रूप प्रकाश प्रते वध्यो त्यारे ॥ २९ ॥
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