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अध्यात्मगीता.
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पर घरे तेह मति केम वाले ॥२५॥
अर्थः-स्वगुण चिन्तन रसे बुद्धि घाले एटले स्वगुण कहतां पोतानी आत्म सत्ताने विष ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि अनंता गुण रह्या छे. अने चिंतन रसे बुद्धि घाले. एटले चितन कहतां तेहना चिंतन ने विषे रसे करी ने युक्त बुद्धि जेहनी वर्ते छे अने एहवी रीते रसे करी ने युक्त बुद्धि वर्ती त्यार; आत्म सत्ता भणी ते निहाले. ए:ले आत्म सत्ता कहतां ज्ञानादि अनन्त गुण रूप पोतानी आत्म सत्ता ने अन्तर दृष्टिये करीने निहाले कहतां निरखी ने जोवे छे. अने एहवी रीते पोतानी आत्म
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