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अध्यात्मगीता.
नयने मते जाणपणा रूप अन्तरंग प्रतीत करी छे, ते जीव कम नाशन चिंतन नाणे; कहतां शुद्ध निश्चय नय करीन. जोतांतो स्फटिक रत्न समान आत्मानो स्वभाव निर्लेप छे. एटले जिम स्फटिक श्याम डंकन जोगे करी ने श्याम दीखे अने राता डकनें जोगे करी ने रातो दीखे, पिण ए डंकनें अभावे जोतांतो स्फटिक निर्मलो छ, तिम आत्मानो स्वभाव शुद्ध निर्मल स्फटिक समान छे. पिण शुभाशुभ पुण्य पाप रूप डंकने जोगे करी कर्मरूप आमा (प्रतिविम्ब ) पड़ी छे; पिण ए कर्म रूप डंकने अभावे करी में जोतांतो आत्मा शुद्ध निर्मल परम ज्योति सत्ताये सिद्ध समान छे. ( गाथा ) जिम निर्मल तारे रत्न
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