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अध्यात्मगीता.
नयना ६ भेद कहे छे-एटले प्रथम द्रव्यपर्याय २३ द्रव्य व्यंजन पर्याय २४ गुण पर्याय २५ गुणव्यंजनपर्याय २६ स्वभाव पर्याय २७ अने विभाव पर्याय २८ एणी रीते अठावीसउपनयनो स्वरूप जाणवो. अने भंग कहतां एक एक नयना सो सो भांगा कहतां ७ नयना सातसो ( ७०० ) भांगा जाणवा. अने संगे कहतां तेहने संगे करीने सनूरो कहतां जीवने दीपतो कहिये. अने साधना सिद्धता रूप पूरो. एटले जीव ने पूरो क्यारे कहिये ? के साधना कहतां शुद्ध व्यवहार नयने मते चोथा गुणस्थानथी मांडी यावत् तेरमा चउदमा गुणस्थान पर्यंत साधक भावे करी निश्चय नयने मते सिद्धिरूप कार्य प्रतें नीपजे
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