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अध्यात्मगीता.
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सिद्धता रूप पूरो ॥ साधक भाव त्यां लगे अधूरो। साध्य सिद्धे नही हेतु सूरो ॥११॥ ___ अर्थ:-हने साध्य साधन रूप जाण पणो करवा सारू जीवनो स्वरूप ओलखावे छे, मारे एम नय भंग संगे सनूरो. एटले एम नय कहेता नैगमादि सात नयरूप नैगम १ संग्रह २ ब्यवहार ३ रुजुसूत्र ४ शब्द ५ समभिरूढ ६ अने एवंभूत ७ एणी रीते साले नयै करी, अने तेहना अहावीस उपनय कहतां निगमना ऋणभेद एटले प्रथम वर्तमाने अतीत आरोपणी नैगम १, अने वर्तमाने अनागत आरोपणि नैगम २ अने
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