________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अध्यात्मगीता.
|| चाल सुरती महिनानी ॥ द्रव्य अनंत प्रकाशक, भासक तत्त्व स्वरूप | आतम तत्त्व विबोधक, शोधक सच्चिद्रूप ॥ नय निक्षेप प्रमाणे, जाणे वस्तु समस्त । त्रिकरण योगे प्रणमुं, जैनागम सु
प्रशस्त ॥ २ ॥
अर्थः- वली जिनवाणी केहवी छे ? के द्रव्य अनंत प्रकाशक. एटले द्रव्य अनंत कहेता उदय भावने जोगे करी जीव अजीव रूप अनंता द्रव्य जगत्रयने विषे रह्या छे, तेहने जिनवाणी केही छे ? के प्रकाशना कर्णवाली छे. अने भासक तत्व स्वरुप एटले
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only