________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आगमसार छे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी; अने वर्तनागुण ते एक कालद्रव्यमांज छे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी; तेमन मिलणविखरणगुण ते पुद्गलमांछे, बीजा द्रव्यमां नथी तथा ज्ञान-चेतना गुण ते एक जीव द्रव्यमां छे, पण वीजा द्रव्यमां नथी. ए मूलगुण कोइ द्रव्यना कोइ द्रव्यमां मिले नही. एक धर्म वीजो अधर्म, त्रीजो आकाश, ए त्रण द्रव्यना त्रण गुण तथा चार पर्याय सरिखा छे अने त्रण गुणें करी तो काल द्रव्य पण ए समान छे.
हवे वली अग्यार बोले करी छ द्रव्यना गुण जाणवाने गाथा कहे छे.
परिणामी जीव मुत्ता, सपएसा एग खित्त किरिआय। निच्चं कारण कत्ता,सवगय
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only