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गुणस्थानकविचार. २४९ ठमी वाडे अतिमात्राए आहार करवो नहीं, नवमी वाडे शरीर सिणगार लूगडानो तथा घरेणानो करवो नहीं, सनान उगटणा न करवा, एकली स्त्री साथे एकलु वाटे चालवू नहीं, तथा नानुं बालक तथा बालिकाथी एक शय्याए सुq नहीं, सात वरस पछी, पांचमे महाव्रते "सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणे" जे द्रव्यथी परिग्रह सूक्ष्मवादर राखे नहीं रखावे नहीं, राखे तेहने अनुमोदे नही, जे संयम पालवा माटे सुखे सिझाय थाये ते माटे उपकरण १४ राखे, कारणे अधिको जोइए तो गृहस्थनाथका पाडेरं वापरे ए थिरकल्पीनो विवहार छे, जिनकल्पी कोई उपगरण न राखे, अपवादे दस उपगरण राखे, बार कषाय
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