________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुणस्थानकविचार.
॥ दहा ॥ परम अध्यात्मने लखे, सद्गुरुकेरे संग; तिणकुं भव सफलो होव, अविहड प्रगटे रंग. १ धर्मध्यानको हेत यह, शिव साधनको खेत; ऐसो अवसर कब मिले, चेत सके तो चेत. २ वक्ता श्रोता सम मिले, प्रगटे निजगुणरूप; अक्षय खजानो ज्ञानको, तीन भूवनको भूप. ३ एह पत्र अनुपहे, समझे जे चित्तलाय; देवचंद्रकवि इंम कहे, निज आतम थिर थाय.४ __ इति अढार पापस्थान जाणवां. हवे छठो गुणठाणो प्रमत्त साधु एहवे नामे कहीये जे प्रत्याख्यानी चोकडीनो उदय टल्यो सर्व विरति प्रगटी, संयम साधन मारे पौद्गलिक
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only