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आगमसार.
योग मिल्ये जे अनंत गुण मोक्षना कारण तत्त्वभोगी तत्वविलासी एवा अद्भुत प्रभुजी अहो प्रभुजी अहो प्रभुजीनी उपकारता अहो प्रभुनी निःसंगता एहवो जे परिणाम ते अ.
द्भुतता वली दुःखे करी मोहाधीन मोहमयी पुद्गल रंगी पराधीन मने एहवा परमात्मा प्रभु अथवा यथार्थ वादी गुरु तथा स्याद्वाद धर्मनो योग मिल्यो, आज मुजने चिंतामणिनी कोडी मिलि. आज माहरा मननो मनोरथ सफल थयो, एहवी आश्चर्यता तथा पली रखे मने एहवा कारणनो विरह पडे एहवो कायरता परिणाम ते बीजी प्रमोदभावना. ३ जे धर्मवंत ऊपर राग अने मिथ्यावी ऊपर राग नही तेम द्वेष पण
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