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आगमसार. उत्तर जे कर्मना भारथी रहित थयो, हल्लयो थयो, माटे नीचो तथा डाबो जिमणो न जाय, कारण के प्रेरक कोइ नथी तथा कंपे नही केमके अक्रिय छे माटे तथा कोइ पूछे जे सिद्धने कर्म केम लागता नथी ? तेने कहे छे जे कर्म तो जीवने अज्ञानथी तथा योगथी लागे छे, ते सिद्धना जीवने अज्ञान तथा योग नथी, माटे कर्म लागे नही. ए चार ध्याननो अधिकार कह्यो. ___हवे वली बीजा चार ध्यान कहे छे. १ पदस्थ, २ पिंडस्थ, ३ रूपस्थ, ४ रूपातीत. तेमां पहेलं पदस्थ ध्यान कहे छे. जे अरिहंतादीक पांच परमेष्ठीना गुण संभारे, तेनो चित्तमां ध्यान करे ते पदस्थध्यान. २ पिं.
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