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आगमसार. गवे छे. दृष्टान्त जेम कोइक मनुष्यने साडा त्रण क्रोड लोढानी सुइने अग्निथी तपावीने कोइक देवता समकाले चांपे तेने जे वेदना थाय तेथी अनंत गुणी वेदना निगोद मध्ये छ अने भव्य जीवने निगोदनुं कारण ते अज्ञान दशा के माटे तेहनो त्याग करो. ए निगोदनो विचार कह्यो. ए सर्व प्रमेयनो प्रमाता आत्मा पोताना ज्ञान गुणे करी प्रमेयनो प्रमाण करे ए प्रमेयपणो कयो.
५ सत्त्वपणो ते छ द्रव्य एक समयमां उपजे विणसे छे अने स्थिरपणे छे. उत्पाद व्यय ध्रुवपणो तेहिन सत्पणो. उत्पाद व्ययध्रुवयुक्तं सत् इति “ तत्त्वार्थ वचनात् " ते विस्तारथी कही देखाडे छे. जे धर्मास्तिका
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