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आगमसार.
व्यमां प्रमेयपणो छे, तेनो प्रमाण केवली पोताना ज्ञानथी करे छे, जे धर्मास्तिकाय तथा अधर्मास्तिकाय अने आकाशास्तिकाय एकेक द्रव्य छे अने जीवद्रव्य अनंता छे तेहनी गणति कहे छे. संज्ञी मनुष्य संख्याता छे, असंज्ञी मनुष्य असंख्याता छे, नारकी असंख्याता छे, देवता असंख्याता छे, तिर्यच पंचेन्द्रिय असंख्याता छे, बेइन्द्री असंख्याता, तेईन्द्री चौरेंद्रीय असंख्याता छे पृथ्वीकाय असंख्याता, अपकाय असंख्याता, तेउकाय असंख्याता, वायुकाय असंख्याता, प्रत्येक वनस्पति जीव असंख्याता, ते थकी सिद्धना जीव अनंता ते थकी बादर निगोदना जीव अनंतागुणा एटले बादर निगोद ते कंदमूल
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