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आगममार,
बिछानामां रहुं छु, अने ऋजुसूत्र नयवाले कडं जे मारा आत्माना असंख्याता प्रदेशमा रहुं हुं. वली शब्दनय कहे जे मारा स्वभावमा रहुं छु, तेमज समभिरूढनय कहे जे हुं मारा गुणमा रहुं छु, अने एवंभूतनयवादी कहे जे ज्ञानदर्शन गुणमां बसं छ. ए दृष्टांत कयो सेम सर्व वस्तुमां कहे.
तथा कोइके प्रदेशमात्र क्षेत्र अंगीकार करी पुछयु जे ए प्रदेश कया द्रव्यनो छे तेवाएँ नैगमनय बोल्यो जे छए द्रव्यनो प्रदेश के कैमके एक आकाश प्रदेशमध्ये छ द्रव्य भेला छे तेवार संग्रह नय बोल्यो जे कालद्रव्य तो अप्रदेशी छे ते माटे सर्व लोकमां एक समय छे पण ते एक आकाश द्रव्यना प्रदेशमा
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