________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
( ६७ )
प्रभु का स्मरण नहीं करता । धर्म की सामग्री प्राप्त होते हुए भी
भव व्यर्थ गुमा दिया |
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स० वयर स्वामी पालणे सूता रे :
वयर कुमार बचपन में ही भाव चारित्री हो गये अर्थात् पालने में सो रहे हैं ।
स० श्राविका गावे हालरा रे :
श्राविका जानते हुए भी साध्वी के पास कुंवर को झुलाती है और कुल रूपी हालरिया गाती है ।
स० श्री शुभ वीर ने वालडां रे ॥८॥ :
स० थई मोटा अर्थ ते कहेजो रे :
हे वज्रकुमार तुम बड़े होकर चारित्र धारण करना और इस हरियाली का अर्थ बताना |
सुनाते हैं ।
मनुष्य
यों कवि पंडित वीर विजय गरिण को यह अर्थ पूर्ण वचन
॥ इति कुलडां हरियाली सम्पूर्ण ॥
For Private And Personal Use Only