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Achar
- अम्निमः :
___ • मंगल कामना: (मुझे यह जानकर प्रसन्नताहरे कि. कैलास-पभ-स्वाध्यामसागर' को द्वितीय भावृत्ति प्रसारित लेने जा रही। "स्वाध्याय" संयमीजीवन का परम सामी एल्माण मिमरे । सम्भार ज्ञान के प्रसार में अति अपने कार्य में परिणाम कोजान. ममतारें अपनी विकृति को संस्कृति में बदल सकता है। बासना भाभमा में परिवर्तित करने की प्रक्रिया भीजान में द्वारा पिलधलीर/ स्वाध्याय के माध्यम से मालचिंतन द्वारा मन के परिणाम माहिरण लेसाई / परिणाम दरोने पर री सिद्ध बनानासार इस साध्या सागर का संकलन एवं संपादन विहान मुनिश्री पमान सागरजी म. ने सियार, भर प्रशंसनीयर) सुभेमा मिस पुस्तक के परन- पारनद्वारा निक आत्मा विकास के पथ पर सपनीनीनन पाप्रा में सयंमार्णसिम माल करने के योग्य बनेणे।
शुभेल:सादरीभरनधर्मशला पमसागर सूरि पालीलागा (गुजरात)
दि.२३.१०.०६ सिरसेन
नतनवर्ष
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