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(i) Kinds of वितान--पद्मक, सभामार्ग, नाभिच्छन्द and मन्दारक; also
शुद्ध, भिन्न, उद्भिन्न etc. (j) Kinds of वेदी-क्षितिजा, सूर्यसेनिका, पर्यन्ता, गजकुंभिका or कन्यसा, सिंहरूपा,
नरसिंहा, सर्वतोभद्रा, गगनोदरी and चित्रसंघाटा. आयादिषडंग - अङ्ग (नागर) has corresponding षडूवर्ण-वर्ण (द्राविड). अड्ग, प्रत्यग, उपाङ्ग of a प्रासाद in नागर .have their corresponding terms--- काय and अनुकाय (द्राविड). Nine अगs or twenty seven अगs -~-see वास्तुमण्डम --- have
corresponding वर्ण in द्राविड, 4. संवर with its 25 divisions.
भद्र प्रतिरथ नन्दिका प्रत्यंग नन्दी मत्तालब
फांसनां राजहस्त राजदण्ड राजच्त्र राजधानी राजक्षेत्र etc. मण्डोवर or मण्डोर or more correctly मंडादि . संघाट द्विसंघाट त्रिसघाट कोल गजतालुका गाजिता
उरोमंजरी रेखा कला चार स्कन्ध मलतल ईहामृग वलीक अबलोकन बितर्दिका सिंहकर्ण अबसर परिसर
लुधि gal and its divisions
उपस्थान दछमा विद्याधरी
and a host of other terms are purely नागर.
5. . Purely Dravidian terms for स्तंभ are ब्रह्मकान्त (चतुरश्रस्तंभ), विष्णुकान्त
(पस्वश्रस्तंभ), इन्द्रकान्त or स्कन्दकान्त (षडधस्तंभ), भानुकान्त (द्वादशाश्रस्तंभ), चन्द्रकान्त (कलाश्रकस्तंभ),
(द्विवज्र) ईशकात (वर्तुलस्तंभ), द्रकान्त, भद्रकान्त, इष्टकान्त, पद्मासन, वज्रकान्त चित्रखण्ड,
(वृत्त)
श्रीवन्ध, श्रीवत्स etc. स्तंभs. The corresponding नागर terrns for स्तंभs are shown in brackets below the Dravidian terms.
अप. viii ब.