SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 81
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मायादि गणित સ્વસ્થ રહી પીડા ન કરે પેાતાના આપ્તજન ( મિત્ર )ના ક્ષેત્રસ્થાનમાં હોય તે પશુ પીડા ન કરે પણ શત્રુસ્થાન વિષમસ્થાનમાં પીડા કરે તેથી શત્રુ भित्रलावले. २६-२७-२८ बारह राशिके स्वामिके बारेमें कहा जाता है । मेष और वृश्विकका स्वामि मंगल, तुला और वृषका शुक्र, कन्या और मिथुनका बुध, कर्कका स्वामि सोम, सिंहका सूर्य धन और मिनका गुरु, मकर और कुंभ राशिका स्वामि शनि समझना । इन सातों ग्रहोंको बारह राशि क्षेत्रके अधिपति समझना । वे अपनी राशिमें स्वस्थ रहकर पीडा न करें। अपने आप्तजन (मित्र) के क्षेत्रस्थान में हो तो भीं पीडा न करें लेकिन शत्रुस्थान - विषम स्थानमें पीडा करें इसी लिये शत्रु मित्र भाव देखना । २६–२७-२८ राशिका स्वामी और मित्र शत्रु या समभाव देखनेका कोष्टक स्वारी मित्रभाव सूर्य राशि सिंह कर्क मेष वृश्चिक धने मीन मिथुन कन्या बुध वृषभ तुला मकर चन्द्र कुंभ मंगक गुरु शुक्र शनी चंद्र-गुरु मंगळ सूर्य बुध सूर्य-चंद्र गुरु सूर्य शुक्र सूर्य चंद्र मंगल बुध-शनी बुध शुक्र शत्रुभाव शुक्र शनी बुध चंद्र बुध-शुक्र सूर्य मंगळ सूर्य चंद्र मंलग समभाव बुध गुरु शुक्र मंगळ शनी: शुक्र शनी मंगळ गुरु शनी शनी चंद्र गुरु गुरु
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy