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अथ सांधार भ्रम मिरूपणाधिकार
___ नारद आदि सर्व ऋषियों और युधिष्ठिरादि पांडवों को प्रासादके भ्रमके अपने अपने स्थानपर फिरते करना। उनमें स्वच्छंद भैरवादि. आनन्द भैरव, प्रति भैरव तथा मुक्तिदाता ऐसे देवों और देवियों को प्रदक्षिणा में स्थापना वे सुखके देनेवाले हैं। भ्रममें अठासी हजार ऋषि वसिष्ठादि के स्वरूपों ब्रह्मा के स्वरूपों ब्रह्माके महाप्रासादके भ्रमकी प्रदक्षिणामें करना । १९-२०-२१. । इतिश्री विश्वकर्माकृतायां क्षीरार्णवे नारद पृच्छायां सांधार भ्रम निरुपणाधिकारे
शताने सप्तदशाधिकारे ॥ ११७॥ क्रमांक अ० १९ ઈતિ શ્રી વિશ્વકર્મા વિરચિત ક્ષીરાણુવ શ્રી નારદઋષિએ પૂછેલા સાંધાર ભ્રમ નિરૂપણ અધિકાર પર શિલ્પ વિશારદ શ્રી પ્રભાશંકર ઓધડભાઈ સોમપુરાએ રચેલી સુપ્રભા નામની ભાષા ટીકાને એક સત્તર અધ્યાય. ૧૧૭, (ક્રમાંક અ૦ ૧૯)
___ इति श्री विश्वकर्मा विरचित क्षीरार्णवमें नारदजीके पूछे हुए सांधार भ्रम निरूपण अधिकार का शिल्प विशारद श्री प्रभाशंकर ओघडभाई सोमपुराकी रचि हुी सुप्रभा नामकी भाषाटीका एकसौ सत्रहवाँ अध्याय ॥११॥ (क्रमांक अ० १९)
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शिव तांडवनृत्य