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क्षीरार्णव अ-११६ क्रमांक अ.-१८ ઘુમટ, એ રીતે વિતાન છત ઘુમટના ત્રિવિધ પ્રકાર જાણવા. તેની જુદી જુદી આકૃતિઓ એક હજાર એકસે તેરની વિવિધ છંદની લુમ મદલેના પ્રકારની કહી
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गजतालु और कोल से अलंकृत वितान (गुम्बज) का दर्शन और छेद दर्शन उदित (१) विधिसे मुर्हत होता है क्योकि वह बहुत खतरेवाला काम है। कोल काचलावाला काम गुंबजका कीमती काम न करना हो तो ५-७-९ या ११ थरों गलते गलतेके निकाले निकालकर [वज करते हैं। यह अंतीम सादी रीत सोलहवीं सदी तक थी। मुस्लीम राज्य कालमें सादे गुंबज होने लगे। उसमें ध्रुवमें सधान रखा जाता है।
वितानके १११३ विविध प्रकारों शिल्पशास्त्रोमें कहे हैं । उसमें कोल काचलेके थरों होते है, तदुपरांत लुम लामसा मदलोंके निकालेसे संकोचकर गोल या चोरस भी काम होता है। मुस्लीम राज्यकालमें गुंबज अंदर बाहर सादे होने लगे। झलका स्थान कमानने लिया । गुंबजके