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अथ मंडपाधिकार (मुख प्राप्रीवा मंडपके) साढ़े दस भाग करना । उसमें एक भागका राजसेनक दो भागकी वेदिका और आधे भागका आसनपर (आसरोट) करना। उसके पर चार भागका स्तंभ-आधे भागका भरणा एक भागका शरा और डेढ भागका पाट मोटा करना । इस तरह साढ़े दस भाग मंडपके उदयके कनीष्ठमानको जानना । अब मध्यमानका उदय सुनो । १०-११-१२.
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सांधार निरधार प्रासादके स्त्रीक मंडपका कक्षासन युक्त स्तंभादि उदय प्रमाण