________________
अथस्तंभ मान लक्षणाधिकार
खुले मंडपको (१) पहले थरमें भिट्ट जाडंबा कणी और प्रासपट्टीका पीठ बंध फिरती प्रदक्षिणामें करना । अगर (6) कुंभ कलश केवाल और पुरुषकंठका थर अगर (३) पीठपर राजसेवक वेदिका और आसन रख कर उसकेपर कक्षासनसे मंडप करना । (ऐसे तीनों प्रकारके भिन्न भिन्न कक्षासनके नामों वृक्षाणवमें दिये हैं । १४-१५.)
Fitiiritu
खुला- हत्यमण्ड का पीठां-धामकार.
प्रासाद् त्रिपंच भूमिः सप्तभिः नवभिस्तथा । ब्रह्मस्थानं सदारम्यं स्वर्ग प्रासाद शाश्वतम् ।।१६।। चतुर्मुखो ब्रह्मणो हि विष्णावे: कुर्याद् विशेषतः । चतुर्मुखश्च रुद्रस्य प्रासादः पुण्यहेतवे ॥१७॥ यथा दिन विना सूर्य शशांक विना शर्वरी । यस्मिन् देशे चतुर्मुखः प्रासादोन हि विद्यते ॥१८॥
HEA13:--
का हत्य
Mard Anatग
pen
दीगम्बर शिव-नृत्य
शिव-नृत्य
ईशानदेव-दिग्पाल दिग्पाल
ब्रह्मा