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अथ गर्भगृह द्वारशाखाधिकार
खरेके शीर्षके सूत्रमें अर्धचन्द्र (शंखोद्वार-शंखावट) का शीर्पक रखना । द्वारकी चौडाीके जितना लम्बा और उससे अर्ध-शंखोद्वार निकलता रखना । अर्धचन्द्र भाग दो और उसकी दोनों तरफ आधे आधे भागके दो गगारक करना । अर्धचन्द्र और गगारकके गालेमें शंख और कमलके आकृति पत्रोंसे अलंकृत शंखोद्वार करना । २४-२५.
यस्य देवस्य या मूर्तिः सैवकार्यात्तरङ्गाके । परिवारश्च शाखायां गणेशश्वोत्तरङ्गाके ॥२६॥
.... हेवासयमा व पधरावेसा
..ન હોય તેની મૂર્તિ કે સેવક Halnirautres immy (३९) नी भूत उत्तम
કરવી અને શાખાઓમાં તે KONSTROMALA MOC ना परिवारमा पsिana
સ્વરૂપ કરવાં. ઉત્તરંગમાં વિશેષ કરી ગણેશની મૂર્તિ પણ मध्यमा ४२ छ. २६.
देवालयमें जो देव पधराये हुए हो उसको मूर्ति या सेवककी (गरूड) मूर्ति उतरंगमें करना ।
और शखाओंमें उस देवके परिवारके पंक्तिबद्ध स्वरूपों बनाना ।
उत्तरंग में विशेषकर गणेशकी मूर्ति द्वारशाखाका ठेकामें देवप्रतिहार स्वरुप भी मध्यमें करते हैं । २६.
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या कारक माना गयो मनाया
का सामना
गर्भगृह का मुख्य द्वारका उत्तरङ्ग