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अथ मंडोवर थर विभाग
उपरका छज्जा सोलह भागका मोटा करना । उसमें ऊपरका कंद एक भाग-तीन भाग गलती, गलतीकी पट्टी एक भागकी - छज्जा के गलतेके सात भाग छज्जाकी मुखपट्टी ढाई भाग, और चीपली मणीबंध डेढ भागका इस तरह मिलकर सोलह भागके ऊदयके विभाग बताये अब निकालेमें नीचेकी पट्टी चीपलीका मणीबंधके साथ साढ़ेतीन भागकी रखना । अंधारी परसे गलतीका कंद एक भाग तीन भागकी गलती और बाकी में छज्जेकी क्षोभन साढे पाँच भाग मिलकर कुल तेरह भागके छज्जेके निकालेके जानना । इस तरह हे मुनि, (दोसौ छः भागका मंडोवर जानना । २९-३०-३१.
इतिश्रो विश्वकर्माकृते श्री श्रीराणत्रे नारद पृच्छायां नागर मेरुमंडोवराधिका रे सता सप्तमोऽध्याय ( क्रमांक अ० ९ ) ॥ १०७ ॥
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ધૃતિ શ્રી વિશ્વકર્માં વિરચિત ક્ષીરાવ શ્રી નારજીએ પૂછેલા નાગર મેરૂ માંડવરાધિકાર ના શિલ્પ વિશાદ સ્થતિ પ્રભાશંકર એધડભાઈ સેામપુરાએ ચેલી સુપ્રભા નામની ભાષા राजने भो सातमो अध्याय ||१०६ ॥ कुभांड २५० ८.
इतिश्री विश्वकर्मा विरचित क्षीरार्णव- श्री नारदजी के संवादरूप नागरमेरू मंडोवराधिकारका शिल्प विशारद स्थपति प्रभाशंकर ओघडभाई सोभपुराकी रचिता सुप्रभा नामकी भाषा टीकाका एकसो सातवाँ अध्याय | ॥ १०७॥ ( क्रमांक अ० ९ )
सांढ युद्ध
कुतूहल
वृषभ और हस्तियुद्ध एकमें दूसरे का मुख प्रदर्शित होता है ।