SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७३) सूचना. आ रीते आपणा पिस्तालीश आगम तथा श्रीश अवशिष्ट आगम तथा नव नियुक्तिओ मळीने एकंदर चोराशी आगमो आपणा जैनधर्मरूप महाप्रासादना स्तंभरूपे विराजमान रहेला छे.. ए चोराशी आगमोना मूळनी एकंदर श्लोकसंख्या सुमारे एक लाख दश हजार ना लगभग थाय छे. तेथी ए चोराशी आगमोनो उतारो लेवो होय तो दर हजारे पांच रुपिया लखामणी अने दश रुपिया शोधामणीना गणतां कुले रुपीया १६५० खरच आवे तथा कोई दुर्लभ्य आगमनी शोध खोल माटे रु. ३५० वधु खरचवा योग्य गणिये तो पण कुले बे हजार रुपियानी रकममाथी आ काम पार पाडी शकाय तेम छे. माटे आवा काममा पोताना द्रव्यनो सदुपयोग करवा कोई पण आगमभक्त श्रद्धालु सद्गृहस्थ खरी खतथी बहार पड़े तो थोडा खरचे मोटुं काम करी शके तेम छे. ___ अमे आशा राखिये छोये के अमारी आ नम्र सूचनाथी कोई पण महाशय जागृत थईन जाते अथवा बीजाने समजावीने आ टुका खरचर्नु उपयोगी काम अवश्य हाथ धरी संपूर्ण करी उत्तम पुण्यनो भागीदार थशेज. विशेष सूचना. शिवाय ए स्तंभरूपी आगमोना टेकारूपे रहेला भाष्य-चूर्णि-वृत्ति-अवचरि-दीपिकाटिप्पन वगेरे तेमनी व्याख्याना आप्तग्रंथो साथे गणिए तो आखा जिनप्रवचननी श्लोकसंख्या सुमारे चौदपंदर लाखना लगभग थवा जाय छे. आ आखा जिनप्रवचननो एक स्थळे संग्रह करवा माटे तेनी अतिशुद्ध एक नकल उतराववी हाये तो अपरना हिसाबे पंदरलाख श्लोकना रुपिया साडीबावीस हजार थाय छे अने ते साथे तेमाना दुर्लभ्य ग्रंथोनी शोध खोल करवा माटे जूदा जूदा स्थळे माणसो मोकलावी पत्तो मेळवी प्रतो मेळवता जे खरच लागे ते माई रुपिया सातआठ हजारनी रकम उमेरिए तो
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy